आँखों की देखरेख के 10 गौरवशाली दशक
क्योंकि आपकी आँखें सबसे कीमती हैं
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आँखों की देखरेख
हमारा मिशन है दृष्टि
मानसरोवर नेत्र चिकित्सालय की स्थापना स्वर्गीय डॉ. हंसराज ने 1930 में की थी। तभी से यह चिकित्सालय लखनऊ एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों के लोगों की सेवा निरंतर करता आ रहा है। यह उत्तर प्रदेश का पहला नेत्र चिकित्सालय है जिसे 20 साल पहले आई.एस.ओ. 9001-2000 प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। अब इसे नेशनल बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) से प्रारंभिक स्तर की संबद्धता मिल गई है और यह पूर्ण संबद्धता प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है।
यह लखनऊ का सबसे पुराना एवं सुसज्जित नेत्र चिकित्सालय है जिसकी आँखों के डॉक्टरों की चार पीढ़ी की विरासत है। चिकित्सालय आधुनिकतम और सर्वोत्तम जांच और उपचार की मशीनों से लैस है ताकि मरीजों को सर्वोत्तम गुणवत्तापूर्ण इलाज दिया जा सके। मरीजों को सदैव अच्छा उपचार देना हमारी प्राथमिकता है।
अस्पताल नगर के केन्द्र में मुख्य विधान सभा मार्ग पर आकाशवाणी के सामने, सचिवालय मेट्रो स्टेशन के गाते नं. 1 के बहुत निकट तथा सभी प्रकार के सार्वजनिक यातायात के साधनों के मार्ग पर स्थित है। चारबाग रेलवे स्टेशन इसी सड़क पर 2 किमी से भी कम दूरी पर स्थित है।
परामर्शी सर्जन
डॉ. संजीव हंसराज
एमएस; एफ़एमआरएफ़ (शंकर नेत्रालय, चेन्नई)
डॉ. मंजुला हंसराज
डीओएमएस
डॉ. टी दास
एमएस (ऑफथैलमोलोजी); एफ़आईसीओ; एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान के फेलो
उपलब्ध तकनीकें
लासिक तथा वेवफ्रंट
आँखों की देखरेख में लेजर विशेष रूप से उपयोगी रहे हैं क्योंकि वे चश्मों या कांटैक्ट लेंस की आवश्यकता को कम से कम कर देते हैं या खत्म कर देते हैं।
इन्ट्रा आक्युलर लेन्स
इन्ट्रा आक्युलर लेन्स लगाना एक मानक प्रक्रिया है और विश्व भर में लाखों लेंस लगाए गए हैं।
याग लेजर सर्जरी
याग लेजर एक उन्नत तकनीकी है जिसका उपयोग मोतिया के बाद के दशाओं के उपचार के लिए किया जाता है और प्रक्रिया को ‘कैप्सूलोटामी’ कहा जाता है।
हाई रिजोल्यूशन स्पेक्ट्रल ओसीटी
ओसीटी मैसकुलर दशाओं की पहचान, उपचार, नियोजन और उपचार के बाद मूल्यांकन में सहायता करता है।
हमारे संस्थापक
डॉ. हंसराज
स्मृति में
डॉ. सुरेश हंसराज
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